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वेताल पच्चीसी - सातवीं कहानी / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी की सातवीं कहानी / Vikram Betal stories in hindi    Vikram Betal         मिथलावती नामक नगरी में गुणधिप नाम का राजा राज्य करता था।  उसकी सेवा करने के लिए दूर देश से एक राजकुमार आया । बहुत कोशिशें करने के बाद भी उसकी मुलाकात राजा से न हुई । जो कुछ वह अपने साथ लाया था , सब बराबर हो गया । एक दिन राजा शिकार खेलने गया । राजकुमार भी साथ हो लिया । चलते-चलते राजा एक वन मे पहुंचा । वहां उसके नौकर-चाकर बिछड़ गए।  राजा के साथ अकेला वह राजकुमार रहा।  उसने राजा को रोका।  राजा ने उसकी ओर देखकर पूछा - तू इतना कमजोर कैसे हो रहा है ? उसने कहा - इसमें मेरे कर्म का दोष है । मैं जिस राजा के पास रहता हूँ वह हजारों को पालता है लेकिन उसकी नज़र मुझपर नहीं पड़ती । राजन् छः बातें आदमी को हल्का करती हैं - खोटे नर की प्रीति , बिना कारण हंसी , स्त्री से विवाद , असज्जन स्वामी की सेवा , गधे की सवारी और बिना संस्कृत की भाषा।  और हे राजा पांच चीजें आदमी के पैदा होते ही विधाता उसके भाग्य में लिख देता है - आयु , कर्म , धन , विद्या और यश ।  राजन् जब तक आदमी का पुण्य उदय रहता है तब तक उसके बहुत से दास रहते हैं
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वेताल पच्चीसी - छठी कहानी / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी - छठी कहानी / Vikram Betal stories in hindi Vikram Betal stories in hindi धर्मपुर नाम की एक नगरी थी । उसमें धर्मंशील नाम का राजा राज्य करता था । उसके अन्धक नाम का एक दीवान था ।  एक दिन दीवान ने कहा - महाराज , एक मंदिर बनवाकर देवी को बैठाकर पुजा की जाए तो बड़ा पुण्य मिलेगा । राजा ने ऐसा ही किया । एक दिन देवी ने उससे प्रसन्न होकर वर मांगने के लिए कहा।  राजा को कोई संतान न थी इसलिए उसने देवी से पुत्र की कामना की ।  देवी बोली - अच्छा है।  तुझे बड़े ही प्रतापी पुत्र की प्राप्ति होगी।  कुछ समय पश्चात राजा के घर एक लड़के का जन्म हुआ। सारे नगर में बड़ी खुशी मनाई गई । एक दिन एक धोबी अपने मित्र के साथ उस नगर में आया । उसकी निगाह देवी के मंदिर पर पड़ी । उसने देवी को प्रणाम करने का इरादा किया । उसी समय उसे एक धोबी की लड़की दिखाई पड़ी जो बहुत ही सुन्दर थी।  उसे देखकर वह इतना पागल हो गया कि देवी के मंदिर जाकर देवी से प्रार्थना कि - हे देवी ! यह लड़की मुझे मिल जाए । अगर यह मुझे मिल गई तो मैं तुझे अपना सिर चढ़ा दूंगा।  इसके बाद वह हर घड़ी बैचैन रहने लगा । उसके मित्र ने उसके पिता को सारा

वेताल पच्चीसी - पांचवी कहानी / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी - पांचवी कहानी / Vikram Betal stories in hindi Vikram Betal  उज्जैन में महाबल नामक राजा राज्य करता था । उसको हरिदास नामक एक दूत था जिसकी महादेवी नामक कन्या बड़ी रूपवती और गुणवती थी । जब वह विवाह योग्य हुई तो हरिदास को उसकी बड़ी चिंता हुई । इसी बीच राजा ने उसे एक दूसरे राजा के पास भेजा । कई दिन चलकर हरिदास वहां पहुंचा । राजा ने उसे बड़ी अच्छी तरह से रखा।  एक दिन उसके पास एक ब्राह्मण आया ।  वह बोला - तुम मुझे अपनी लड़की दे दो । हरिदास ने कहा - मैं उसे अपनी लड़की दूंगा जिसमें सारे गुण हो । ब्राह्मण ने कहा - मेरे पास एक ऐसा रथ हैं , जिस पर बैठकर जहां चाहें घड़ी भर में पहुंच जाओगे । हरिदास ने कहा - ठीक है , कल सवेरे उसे ले आना । अगले दिन दोनों रथ पर बैठ उज्जैन आ पहुंचे । दैवयोग से हरिदास का लड़का अपनी बहन को किसी दूसरे तथा हरिदास की स्त्री किसी तीसरे को अपनी लड़की देने का वादा कर चुके थे । इस तरह तीन वर इकट्ठे हो गए । हरिदास सोचने लगा , कन्या एक हैं और वर तीन । अब क्या करे ? इसी बीच एक राक्षस आया और कन्या को उठाकर विंध्याचल पर्वत ले गया । तीनों वरो में से एक ज्ञानी था ।  हरिदा

वेताल पच्चीसी - चौथी कहानी / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी - चौथी कहानी / Vikram Betal stories in hindi     Vikram Betal stories in hindi भोगवती नाम की एक नगरी थी । उसमें रूपसेन राजा राज्य करता था । उसके पास चिंतामणि नाम का एक तोता था।   एक दिन राजा ने उससे पूछा - हमारा ब्याह किसके साथ होगा ? तोते ने कहा - मगध देश की राजकुमारी चन्द्रावती के साथ होगा।   राजा ने ज्योतिषीयों को बुलाकर पूछा तो उन्होंने भी वही कहा। उधर मगध देश की राजकुमारी के पास एक मैना थी । उसका नाम था मदन मञ्जरी । एक दिन राजकुमारी ने उससे पूछा कि मेरा विवाह किसके साथ होगा तो उसने कह दिया कि भोगवती नगर के राजा रूपसेन के साथ । इसके बाद दोनों का विवाह हो गया। रानी के साथ उसकी मैना भी आ गई । राजा-रानी ने तोता-मैना का विवाह करके एक पिंजड़े में बंद कर दिया ।  एक दिन की बात है , तोता-मैना में बहस हो गई।   मैना ने कहा - आदमी बड़ा पापी , दगाबाज और अधर्मी होता है।   तोते ने कहा - स्त्री झूठी, लालची और हत्यारी होती है । दोनों का झगड़ा ज्यादा बढ़ गया तो राजा ने कहा - क्या बात है , तुम आपस में क्यों लड़ रहे हो ? मैना ने कहा - महाराज मर्द बहुत बुरे होते हैं । इसके बाद मैना ने एक

वेताल पच्चीसी तीसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी - तीसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi       Vikram Betal stories in hindi वर्धमान नगर में रूपसेन नामक राजा राज्य करता था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नामक राजपूत नौकरी के लिए आया। राजा ने पूछा कि तुम्हें ख़र्च के लिए क्या चाहिए तो उसने कहा कि "हजार तोले सोना" । सुनकर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ ।  राजा ने पूछा - तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं ? वीरवर बोला - मेरी स्त्री , बेटा और बेटी । राजा को और भी अचम्भा हुआ कि चार लोग इतने धन का क्या करेंगे । फिर भी राजा ने उसे अपनी सेवा में रख लिया । उस दिन से वीरवर रोज भंडारी से एक तोले सोना लेकर घर आता था । उसमें से आधा ब्राह्मणों में बाँट देता, बाकी के दो हिस्से करके एक मेहमानों , वैराग्यियों और संन्यासीयो को दे देता और दूसरे से भोजन बनवाकर पहले गरीबों को खिलाता , उसके बाद जो कुछ भी बचता , उसे अपने स्त्री-बच्चों को खिलाता और आप खाता । काम था राजा के प्रमुख अंगरक्षक का । शाम होते ही ढाल-तलवार लेकर राजा के पंलग की चौकीदारी करता । राजा को जब भी उसकी जरूरत होती वह हाज़िर होता । एक रात करीब आधी रात का समय था , राजा को मरघट की

वेताल पच्चीसी दूसरी कहानी / second story of Vikram Betal

    वेताल पच्चीसी की कहानियाँ - दूसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi               Stories of Vikram Betal यमुना के किनारे धर्मस्थान नामक एक नगर था । उस नगर में गणाधिप नाम का राजा राज्य करता था । उसी नगर में केशव नामक एक ब्राह्मण भी रहता था । ब्राह्मण यमुना के तट पर जप-तप किया करता था । उसकी एक लडक़ी थी जिसका नाम मालती था । वह बहुत ही रूपवती थी । जब वह शादी के लायक हुई तो उसके माता-पिता और भाई को उसकी चिंता हुई । संयोग से एक दिन जब ब्राह्मण अपने यजमान की बारात में गया और भाई पढ़ने गया तभी उसके घर एक ब्राह्मण लड़का आया।  लड़की की मां ने उसके रूप और गुणों को देखकर उससे कहा कि मैं अपनी लड़की का ब्याह तुमसे करूंगी । दूसरी ओर उसके पिता को भी एक लड़का मिल गया और उसने भी लडके को वही वचन दे दिया । उधर जब लड़की का भाई पढने गया तो उसे भी एक लड़का मिल गया और उसने भी वही वचन दे डाला । कुछ समय बाद जब बाप और बेटे एक जगह इकट्ठे हुए तो देखते हैं कि वहां एक तीसरा लड़का भी मौजूद है । दो तो उनके साथ आए थे । अब क्या हो ? ब्राह्मण , ब्राह्मणी और उसका लड़का तीनों सोच में पड़ गए । दैवयोग से क्या हुआ क

वेताल पच्चीसी की पहली कहानी / Vikram Betal stories in hindi

   वेताल पच्चीसी की पहली कहानी / Vikram Betal stories in hindi         Vikram Betal stories in hindi काशी में प्रतापमुकुट नामक राजा राज्य करता था।  उसके वज्रमुकुट नाम का एक पुत्र था । एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के के साथ जंगल में शिकार खेलने के लिए गया । घूमते-घूमते उन्हें एक तालाब दिखा ।  उसके पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे । किनारों पर घने पेड़ थे , जिनपर पक्षी चहचहा रहे थे । दोनों मित्र वहां रूक गए और तालाब के पानी में हाथ मुंह धोकर महादेव के मंदिर गए । घोड़ो को उन्होंने मंदिर के बाहर बांध दिया । वो मंदिर में दर्शन करके बाहर आए तो देखते क्या है कि एक राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ तालाब में स्नान करने आई थी । दीवान का लड़का तो वही एक पेड़ के नीचे बैठा रहा , पर राजकुमार से न रहा गया । वह आगे बढ़ गया । राजकुमारी ने उसकी तरफ देखा तो वह उसपर मोहित हो गया । राजकुमारी भी उसकी तरफ देखती रही । फिर उस राजकुमारी ने अपने जुड़े में से कमल का फूल निकाला , उसे अपने कान से लगाया , दांत से कुतरा , पैर के नीचे दबाया और फिर छाती से लगा , अपनी सहेलियों के साथ चली गई । उसके जाने के बाद रा