वेताल पच्चीसी - विक्रम वेताल की कहानियाँ / Vikram Betal stories in hindi
राजा विक्रमादित्य ने योगी से पूछा आप यह लाल मुझे क्यों दे रहे हैं ?
योगी ने जवाब दिया - महाराज! राजा , गुरु , ज्योतिष , वैद्य और बेटी इनके घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए ।
राजा विक्रमादित्य ने भण्डारी को बुलाकर पीछे के सभी फलों को मंगवाया तुड़वाने पर सभी में से एक एक लाल निकला । इतनें लाल देखकर राजा खुश हो गए । उन्होंने जौहरी को बुलाकर उनका मूल्य पूछा ।
जौहरी ने बताया - महाराज! यह लाल इतने कीमती है कि इनका मूल्य करोडों रुपये में भी नहीं आंका जा सकता हैं । एक एक लाल का मूल्य एक राज्य के बराबर है ।
यह सुनकर राजा विक्रमादित्य योगी को अकेले में ले गया ।
वहां जाकर योगी ने कहा कि महाराज! बात यह है कि गोदावरी नदी के किनारे मसान में मैं एक मंत्र सिद्ध कर रहा हूँ । उसके सिद्ध हो जाने पर मेरा मनोरथ पूरा हो जाएगा । एक दिन रात को हथियार बांधकर तुम अकेले मेरे पास आ जाना।
राजा विक्रमादित्य ने कहा- अच्छी बात है ।
इसके बाद दिन और समय बताकर योगी चला गया। वह दिन आने पर राजा अकेले योगी के पास पहुंचा। योगी ने उसे अपने पास बिठा लिया ।
थोड़ी देर बाद राजा ने योगी से पूछा - महाराज, मेरे लिए क्या आज्ञा हैं ?
योगी ने कहा - महाराज ! यहां से दक्षिण दिशा में दो कोस की दूरी पर मसान में एक सिरस के पेड़ पर एक मुर्दा लटका हुआ है। उसे मेरे पास ले आओ तब तक मैं यहां पुजा करता हूँ ।
यह सुनकर राजा वहां से चल दिया । बड़ी ही भयंकर रात थी, चारों ओर अँधेरा फैला था । पानी बरस रहा था । भूत-प्रेत शोर मचा रहे थे । सांप आकर पैरों में लिपटते थे । राजा विक्रमादित्य हिम्मत से आगे बढ़ते रहे । राजा बेधड़क मसान में पहुंचकर सिरस के पेड़ के पास पहुंच गए । पेड़ जड़ से फुनगी तक आग से दहक रहा था । उसी पेड़ में रस्सी से बंधा मुर्दा लटक रहा था । राजा पेड़ पर चढ़ गया और तलवार से रस्सी काट दिया । मुर्दा नीचे गिर गया और दहाड़ मारकर रोने लगा ।
राजा विक्रमादित्य ने नीचे आकर पूछा तू कौन हैं ?
राजा का इतना पूछना था कि वह मुर्दा जोर जोर से हंसने लगा । राजा को बड़ा अचरज हुआ । तभी वह मुर्दा पेड़ पर जा लटका । राजा फिर चढ़कर ऊपर गया और रस्सी काट मुर्दे को बगल में दबा नीचे आया ।
राजा ने फिर पूछा - बता तू कौन है ?
मुर्दा चुप रहा । तब राजा विक्रमादित्य ने उसे अपनी पीठ पर बैठाया और योगी के पास ले चला ।
रास्ते में वह मुर्दा बोला - मैं वेताल हूँ । तू कौन हैं और मुझे कहां ले जा रहा है ?
राजा ने कहा- मेरा नाम विक्रमादित्य है और मैं उज्जयिनी नगरी का राजा हूँ । मैं तुझे योगी शान्ति शील के पास ले जा रहा हूँ ।
वेताल बोला - पर मेरी एक शर्त है अगर तू रास्ते में बोला तो मैं फिर से जाकर पेड़ पर लटक जाऊंगा ।
राजा विक्रमादित्य ने उसकी बात मान ली ।
फिर वेताल बोला - पण्डित चतुर और ज्ञानी इनके दिन अच्छी-अच्छी बातों मे बीतता है जबकि मूर्ख के दिन कलह और नींद में बीतते है । अच्छा होगा कि हमारी राह भली बातों की चर्चा मे कटे । मैं तुझे एक कहानी सुनाता हूँ । ले सुन और वेताल अपनी पहली कहानी सुनाता है ।
पहली कहानी आगे की पोस्ट में पढ़े :-
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें