वेताल पच्चीसी की कहानियाँ - दूसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi
कुछ समय बाद जब बाप और बेटे एक जगह इकट्ठे हुए तो देखते हैं कि वहां एक तीसरा लड़का भी मौजूद है । दो तो उनके साथ आए थे । अब क्या हो ? ब्राह्मण , ब्राह्मणी और उसका लड़का तीनों सोच में पड़ गए । दैवयोग से क्या हुआ कि लड़की को सांप ने काट लिया और वह मर गई । लड़की के पिता भाई और तीनों लड़को ने बड़ी भाग-दौड़ की , जहर उतारने वालों को बुलवाया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा । सब अपनी-अपनी करके चले गए ।
दुःखी होकर सभी ने मिलकर उस लड़की का क्रिया-कर्म किया । तीनों लड़को में से एक ने तो उसकी हड्डियां चुन लिया और फकीर बन जंगल चला गया । दूसरे ने राख की गठरी बांधी और वही झोपड़ी बना रहने लगा। तीसरा योगी बनकर देश-देश घूमने लगा ।
एक बार कि बात है, तीसरा लड़का घूमते-घूमते एक नगर पहुंचा और एक ब्राह्मणी के घर भोजन करने बैठा। जैसे ही वह ब्राह्मणी भोजन परोसने आई उसके सबसे छोटे लड़के ने उसका आँचल पकड़ लिया । उसने कितनी कोशिश की लेकिन लड़का आँचल छोड़े ही नहीं । उसे बहुत गुस्सा आया । ब्राह्मणी ने लड़के को मारा-पीटा पर वह माने ही न तो ब्राह्मणी ने बच्चे को ले जाकर जलते चूल्हे में पटक दिया । लड़का जलकर राख हो गया । ब्राह्मण बिना भोजन किए ही उठ खड़ा हुआ । घरवालों ने बहुत कहा परंतु वह न माना । उसने कहा जिस घर में ऐसी राक्षसी हो वहां मैं भोजन नहीं कर सकता ।
इतना सुनकर उस ब्राह्मणी का आदमी घर के अंदर गया और संजीवनी विद्या की एक पोथी लाकर मंत्र पढ़ा । जलकर राख हुआ लड़का फिर से जीवित हो उठा ।
यह देखकर ब्राह्मण सोचने लगा कि यह विद्या अगर मेरे हाथ लग जाये तो मैं उस लड़की को फिर से जीवित कर सकता हूँ । इसके बाद उसने भोजन किया और वही ठहर गया । जब रात को सब खा-पीकर सो गए तो वह ब्राह्मण चुपचाप पोथी लेकर वहां से चल दिया । जिस जगह में लड़की को जलाया था , वहां देखा तो दोनों लड़के बैठे बातें कर रहे थे । तीसरे ब्राह्मण लड़के के कहने पर कि उसे संजीवनी विद्या की पोथी मिल गई है और वह मंत्र पढ़कर लड़की को जिंदा कर सकता है , उन दोनों ने हड्डियां और राख निकाली । ब्राह्मण ने जैसे ही मंत्र पढ़ा लड़की जी उठीं । अब तीनों लड़के आपस में उसके पीछे झगड़ने लगे ।
इतना कहकर वेताल बोला - राजा, बताओं वह लड़की किसकी स्त्री होनी चाहिए ?
राजा विक्रम ने जवाब दिया - जो वहां कुटिया बना कर रहा , उसकी ।
वेताल ने पूछा - क्यों ?
विक्रम बोले - जिसने उसकी हड्डियां रखी वह तो उसके बेटे के बराबर हुआ । जिसने विद्या सीखकर उसे जीवन दान दिया वह पिता के समान हुआ । जो राख लेकर वहीं रमा रहा, वही उसका हकदार हैं ।
राजा विक्रम का जवाब सुनकर वेताल फिर से पेड़ पर जा लटका । राजा को फिर लौटना पड़ा और जब वह उसे वापस लेकर लौटा तो वेताल ने तीसरी कहानी सुनाई ।
तीसरी कहानी पढें अगले पोस्ट में ...
वेताल पच्चीसी की पहली कहानी पढें :-
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