अघोरी साधुओं की रहस्यमयी दुनिया । Aghori sadhuo ki Rahasmayi dunia
आधी रात के बाद का समय जब हम नींद की आगोश में रहते हैं उस समय घोर अंधकार में अघोरी-तांत्रिक Aghori Tantrik शमशान में तंत्र क्रियाएं करते हैं । इस समय वे घोर साघना करते हैं । अघोरी का नाम सुनते ही मन में डर उत्पन्न हो जाता है यह उनकी वेशभूषा और रहनसहन के वजह से होता है । अघोर विद्या नहीं बल्कि इसका स्वरूप भयानक है । मूलतः अघोरी उसे कहते है जिसके भीतर अच्छे-बुरे , सुगंध-दुर्गंध , प्रेम-नफ़रत , ईर्ष्या-मोह जैसे भाव मिट जाए । जो किसी में फ़र्क न करें । जो शमशान जैसे घृणित और डरावनी जगह में भी उसी सहजता से रह ले जैसे लोग घरों में रहते हैं । अघोरी लाशों के साथ सहवास भी करता है और मानव मांस का भी भक्षण करते हैं । ऐसा करने का यह तर्क है कि उस व्यक्ति के मन से घृणा निकल जाए ।
अघोरी साधु Aghori sadhu गाय का मांस छोडक़र सभी चीजों का भक्षण करते हैं। मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक सब कुछ। अघोरवाद मे शायद शमशान निवास का बहुत महत्त्व है इसलिए अघोरी साधु शमशान में निवास करना पसंद करते हैं । चूंकि शमशान घाट मे कोई नहीं जाता है इसलिए उनकी साधना निर्विघ्न संपन्न होती है । अघोरी बाबा Aghori baba के गले में नरमुण्ड की माला और शरीर में राख मली होती है । अघोरी बड़े जिद्दी होते हैं इन्हें जो चाहिए होता है लेकर ही मानते हैं।
अघोरी Aghori शमशान में तीन तरह से साधना करते हैं - शिव साधना , शव साधना और शमशान साधना। शव साधना के चरम पर मुर्दा बोल उठता है , और उसकी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। ऐसी तारापीठ के शमशान , कामाख्या पीठ के शमशान , उज्जैन के चक्रतीर्थ और त्र्यम्बकेश्वर के शमशान में होती है ।
अघोरी साधु दिन में सोने और रात को शमशान में साधना करने वाले होते हैं । वे आम इंसान से कोई संपर्क नहीं रखते और न ही ज्यादा बातें करते हैं । वे अधिकांश समय अपना सिद्ध मंत्र का ही जाप करते हैं। इनकी दुनिया बहुत ही रहस्यमयी है ।
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