अचानक से चारों ओर की सुंदरता को देखकर अकबर के मुंह से निकला - "भाई अस्क पेदार शूमस्त " ।
इन शब्दों के दो अर्थ थे - पहला अर्थ फारसी में था - यह घोड़ा तुम्हारे बाप का है और दूसरा अर्थ यह घोड़ा तुम्हारा बाप है ।
बीरबल तुरंत समझ गए कि शहंशाह क्या कहना चाहते हैं । वे बोले - "दाद-ए-हुजुरस्त" ।
इसका अर्थ होता है यह हुजूर का दिया हैं । यह सुनकर शहंशाह अकबर को कुछ बोलते न बना । जैसे को तैसा जवाब मिला।
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