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सबसे बड़ी चीज क्या है / अकबर बीरबल की कहानियाँ

                    
Akbar Birbal stories
Stories of Akbar Birbal in hindi

एक दिन की बात है , बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे। ऐसे में बीरबल से जलने वाले सभी दरबारियों ने मिलकर बीरबल की बुराई शुरू कर दी । अक्सर जब बीरबल दरबार में उपस्थित न होते तो सभी मिलकर उनके खिलाफ शहंशाह अकबर के कान भरा करते थे । अकबर इस बात को भली-भांति समझते थे और उन्हें बीरबल की बुराई बिलकुल अच्छी नहीं लगती थी ।


उस दिन दरबार में ऐसा ही हो रहा था , अकबर के खास मुल्ला दो प्याजा की शह पाकर चार दरबारियों ने मिलकर अकबर से कहना शुरू किया - जहाँपनाह ! आप बीरबल को आवश्यकता से अधिक मान देते है , हम लोगों से ज्यादा उन्हें चाहते हैं । आपने उन्हें बहुत सिर चढ़ा कर रखा है जबकि वह जो काम करते हैं वह हम भी कर सकते हैं । आप हमें मौका ही नहीं देते ।


शहंशाह अकबर को उन दरबारियों पर बहुत गुस्सा आया परंतु उन्होंने गुस्से को दबा कर कहा - देखों आज बीरबल तो यहां नहीं हैं इसलिए मुझे तुम चारों से एक सवाल का जवाब चाहिए । यदि तुम लोगों ने मेरे सवाल का सही जवाब नहीं दिया तो तुम चारों को फांसी पर चढ़वा दूंगा । 

शहंशाह की बात सुनकर वे घबरा गए ।

हिम्मत करके अकबर से पूछा - अपना सवाल बताइए शहंशाह 

अकबर - संसार में सबसे बड़ी चीज क्या हैं ? देखों तुम सब सोच समझकर ही जवाब देना वरना मैं कह चुका हूं कि फांसी पर लटका दूंगा और हाँ अटपटे जवाब नहीं देना । एक जवाब देना और सही देना । 


चारों दरबारियों ने आपस में फैसला करके कहा - जहाँपनाह ! हमें कुछ दिन की मोहलत दीजिए । 

'ठीक है मैं तुम लोगों को एक सप्ताह का समय देता हूँ ' शहंशाह अकबर बोले ।


चारों दरबार से बाहर गए और सोचने लगें कि सबसे बड़ी चीज क्या हो सकती है ? 

एक दरबारी बोला - मेरे ख्याल से अल्लाह से बड़ा कोई नहीं हो सकता है । 

दूसरा बोला - अल्लाह कोई चीज नहीं हैं।  कोई दूसरा जवाब सोचो ।

'सबसे बड़ी चीज तो भूख हैं , जो आदमी से कुछ भी करवा देती हैं ' तीसरे ने कहा ।

चौथे ने कहा - नहीं नहीं भूख भी बर्दाश्त की जा सकती हैं । 

फिर क्या है सबसे बड़ी चीज ? छः दिन बीत गए लेकिन जवाब न समझ आया । हार कर चारों बीरबल के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात कह सुनाई साथ ही विनती की कि उन्हें ऐसा सवाल का जवाब बता दें। 


बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा कि मै तुम्हारे सवाल का जवाब जरूर दूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है।  

दरबारी बोले - हमें आपकी सारी शर्त मंजूर है । बस किसी तरह  से हमारी जान बचाइए ।

बीरबल ने कहा - तुम में से दो मेरी चारपाई को अपने कंधे पर दरबार तक ले जाओगे । एक मेरा हुक्का पकडेगा और एक मेरे जूते लेकर चलेगा ।

यह सुनते ही चारों सन्नाटे में आ गए । उन्हें लगा कि बीरबल उनसे बदला ले रहे हैं । मगर मरता क्या न करता । उन्होंने शर्त मान ली ।

दो ने बीरबल की चारपाई उठाई एक ने हुक्का और एक जूते लेकर चला । रास्ते में सभी आश्चर्य से यह नजारा देख रहे थे । कोई कुछ नहीं समझ सका । शहंशाह अकबर के पास पहुंचकर बीरबल बोले - हुजूर ! सबसे बड़ी चीज है गरज । अपनी गरज से ये यह चारपाई उठाकर यहां ले आए । 

शहंशाह अकबर बीरबल की चतुराई से एक बार फिर से खुश हुए । वहीं वे चारों दरबारी मुंह लटकाए वही खड़े रहे ।





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