सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

किसका पानी अच्छा / अकबर बीरबल की कहानियाँ

       
Akbar Birbal ki kahaniya images
Stories of Akbar Birbal in hindi 

एक बार शहंशाह अकबर ने भरे दरबार में पूछा कि किस नदी का पानी सबसे अच्छा है। 


सभी दरबारियों ने एकमत होकर कहां कि गंगा नदी का पानी सबसे अच्छा है । लेकिन बीरबल चुपचाप बैठे सब सुन रहे थे।  शहंशाह अकबर ने बीरबल को चुप देखकर पूछा - बीरबल तुम चुप क्यों हो , तुम्हारे हिसाब से किस नदी का पानी सबसे अच्छा है ?

बीरबल बोले - हुजूर! पानी सबसे अच्छा यमुना नदी का होता है ।

बीरबल की बात सुनकर शहंशाह अकबर को बड़ी हैरानी हुई । उन्होंने बीरबल से कहा - यह तुम किस आधार पर कह रहे हो जबकि हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार तो गंगा के पानी को सबसे पवित्र और शुद्ध माना गया है । 


बीरबल ने कहा - हुजूर ! मैं भला पानी की तुलना अमृत से कैसे कर सकता हूँ ? गंगा नदी में बहने वाला पानी , पानी नहीं बल्कि अमृत है । इसलिए मैंने कहा कि यमुना नदी का पानी सबसे अच्छा है ।

शहंशाह अकबर और बाकी सारे दरबारी बीरबल का जवाब सुनकर निरूत्तर हो गए ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भूतिया कुएं की कहानी - Horror well story in hindi

  भूतिया कुएं की कहानी । Horror well story in hindi          Horror well story in hindi क्रिस्टी Krishti नाम की एक प्यारी बच्ची अपनी मम्मी रेचल के साथ रहती थी । क्रिस्टी के पापा नहीं थे इसलिए उसकी मम्मी रेचल ही नौकरी करके क्रिस्टी का पालन-पोषण करती थी । रेचल काम से वापस लौटकर क्रिस्टी को स्कूल से लाती और दोनों घर में साथ में खाना खाते, खेलते , टीवी देखते और बहुत सारी बातें करते थे । दोनों माँ बेटी अपनी जींदगी में बहुत खुश थे । एक बार रेचल क्रिस्टी को स्कूल से लाने गई तो उसकी टीचर ने क्रिस्टी की एक बनाई तस्वीर दिखाई जिसमे वह रेचल और एक बच्ची थी । जो उसका हाथ पकड़ खींच रही थी।   रेचल क्रिस्टी को लेकर घर आ गई। दोनों रात को जब साथ खाना खाने बैठे तो रेचल ने क्रिस्टी से पूछा कि तुमने बताया नहीं कि तुम्हें एक नई दोस्त मिल गई है । क्रिस्टी बोली आपने पूछा ही नहीं तब रेचल ने पूछा कि तुम्हारी नई दोस्त कहां रहती हैं तो क्रिस्टी ने बताया कि वह एक अंधेरे कुएं में रहती हैं । रेचल को क्रिस्टी की बात कुछ अजीब लगी तब उसने कहा कि मैं जब तक किचन का काम खत्म करतीं हूँ तब तक तुम अपनी दोस्त के घर की तस्वीर ब

ईश्वर जो करता है अच्छा करता हैं / अकबर बीरबल की कहानियाँ

            Akbar Birbal stories in hindi बीरबल एक ईमानदार और भगवान को मानने वाले व्यक्ति थे । वे प्रतिदिन ईश्वर की आराधना किया करते थे और उनका ईश्वर में पूर्ण विश्वास था । वे हमेशा कहा करते थे कि ईश्वर जो भी करता है वह हमारे भले के लिए ही करता है । शहंशाह अकबर के दरबार में बहुत से ऐसे दरबारी थे जिन्हें बीरबल की ऐसी बातें और बीरबल बिलकुल भी पसंद नहीं थे । वे नहीं चाहते थे कि बीरबल शहंशाह अकबर के खास रहे इसलिए अकबर के दरबार में बीरबल के खिलाफ हमेशा षंडयत्र होते रहते थे । खुद शहंशाह अकबर को भी इस बात का पता था ।  एक बार कि बात है , एक दरबारी जो बीरबल को बिलकुल भी पसंद नहीं करता था ने दरबार में कहा कि ईश्वर ने मेरे साथ कल बहुत बुरा किया । मैं अपने घोड़े के लिए चारा काट रहा था तभी मेरी छोटी ऊँगली कट गई । अब आप ही बताइए बीरबल क्या यह मेरे साथ ईश्वर ने अच्छा किया ? कुछ देर चुप रहने के बाद बीरबल बोले - मेरा अब भी यही मानना है कि ईश्वर जो भी करता है वह अच्छे के लिए करता है  । बीरबल की बात सुनकर वह दरबारी और भी ज्यादा चिढ़ गया और कहा कि एक तो मेरी ऊँगली कट गई और बीरबल को इसमें भी अच्छाई नजर आ र

जोरू का गुलाम / Akbar Birbal ki kahaniya

            Akbar Birbal ki kahaniya                   शहंशाह अकबर और बीरबल बातें कर रहे थे । बात मियां-बीवी की चली तो बीरबल ने कहा - अधिकतर मर्द जोरू के गुलाम होते हैं और अक्सर अपनी बीवियों से डरते भी है । शहंशाह अकबर बोले - मैं ऐसा नहीं मानता । 'हुजूर !मैं सिद्ध कर सकता हूँ ' बीरबल ने कहा । 'सिद्ध करों ।' शहंशाह बोले । 'ठीक है , आप बस आज ही यह आदेश जारी करें कि किसी को भी अपनी बीवी से डरने की जरूरत नहीं है, उसे बस बीरबल के पास एक मुर्गा जमा करवाना पड़ेगा ' बीरबल शहंशाह से बोले । बीरबल के कहे अनुसार शहंशाह ने आदेश जारी कर दिया । कुछ ही दिनों में बीरबल के पास ढेरों मुर्गे जमा हो गए।  तब उन्होंने शहंशाह से कहा - हुजूर ! अब तो इतनें मुर्गे जमा हो गए हैं कि आप मुर्गीखाना खोल सकते हैं । आप अपना आदेश वापस ले ले । शहंशाह को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने आदेश लेने से मना कर दिया । खीझकर बीरबल वापस लौटें । अगले दिन बीरबल दरबार में आया और शहंशाह अकबर से कहा - हुजूर! पड़ोसी राजा की पुत्री बहुत सुन्दर है । आपकी आज्ञा हो तो आपके विवाह की बात करूँ ?  'यह क्या कह रहे हो ,