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वेताल पच्चीसी तीसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी - तीसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi       Vikram Betal stories in hindi वर्धमान नगर में रूपसेन नामक राजा राज्य करता था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नामक राजपूत नौकरी के लिए आया। राजा ने पूछा कि तुम्हें ख़र्च के लिए क्या चाहिए तो उसने कहा कि "हजार तोले सोना" । सुनकर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ ।  राजा ने पूछा - तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं ? वीरवर बोला - मेरी स्त्री , बेटा और बेटी । राजा को और भी अचम्भा हुआ कि चार लोग इतने धन का क्या करेंगे । फिर भी राजा ने उसे अपनी सेवा में रख लिया । उस दिन से वीरवर रोज भंडारी से एक तोले सोना लेकर घर आता था । उसमें से आधा ब्राह्मणों में बाँट देता, बाकी के दो हिस्से करके एक मेहमानों , वैराग्यियों और संन्यासीयो को दे देता और दूसरे से भोजन बनवाकर पहले गरीबों को खिलाता , उसके बाद जो कुछ भी बचता , उसे अपने स्त्री-बच्चों को खिलाता और आप खाता । काम था राजा के प्रमुख अंगरक्षक का । शाम होते ही ढाल-तलवार लेकर राजा के पंलग की चौकीदारी करता । राजा को जब भी उसकी जरूरत होती वह हाज़िर होता । एक रात करीब आधी रात का समय था , राजा को मरघट की

वेताल पच्चीसी दूसरी कहानी / second story of Vikram Betal

    वेताल पच्चीसी की कहानियाँ - दूसरी कहानी / Vikram Betal stories in hindi               Stories of Vikram Betal यमुना के किनारे धर्मस्थान नामक एक नगर था । उस नगर में गणाधिप नाम का राजा राज्य करता था । उसी नगर में केशव नामक एक ब्राह्मण भी रहता था । ब्राह्मण यमुना के तट पर जप-तप किया करता था । उसकी एक लडक़ी थी जिसका नाम मालती था । वह बहुत ही रूपवती थी । जब वह शादी के लायक हुई तो उसके माता-पिता और भाई को उसकी चिंता हुई । संयोग से एक दिन जब ब्राह्मण अपने यजमान की बारात में गया और भाई पढ़ने गया तभी उसके घर एक ब्राह्मण लड़का आया।  लड़की की मां ने उसके रूप और गुणों को देखकर उससे कहा कि मैं अपनी लड़की का ब्याह तुमसे करूंगी । दूसरी ओर उसके पिता को भी एक लड़का मिल गया और उसने भी लडके को वही वचन दे दिया । उधर जब लड़की का भाई पढने गया तो उसे भी एक लड़का मिल गया और उसने भी वही वचन दे डाला । कुछ समय बाद जब बाप और बेटे एक जगह इकट्ठे हुए तो देखते हैं कि वहां एक तीसरा लड़का भी मौजूद है । दो तो उनके साथ आए थे । अब क्या हो ? ब्राह्मण , ब्राह्मणी और उसका लड़का तीनों सोच में पड़ गए । दैवयोग से क्या हुआ क

वेताल पच्चीसी की पहली कहानी / Vikram Betal stories in hindi

   वेताल पच्चीसी की पहली कहानी / Vikram Betal stories in hindi         Vikram Betal stories in hindi काशी में प्रतापमुकुट नामक राजा राज्य करता था।  उसके वज्रमुकुट नाम का एक पुत्र था । एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के के साथ जंगल में शिकार खेलने के लिए गया । घूमते-घूमते उन्हें एक तालाब दिखा ।  उसके पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे । किनारों पर घने पेड़ थे , जिनपर पक्षी चहचहा रहे थे । दोनों मित्र वहां रूक गए और तालाब के पानी में हाथ मुंह धोकर महादेव के मंदिर गए । घोड़ो को उन्होंने मंदिर के बाहर बांध दिया । वो मंदिर में दर्शन करके बाहर आए तो देखते क्या है कि एक राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ तालाब में स्नान करने आई थी । दीवान का लड़का तो वही एक पेड़ के नीचे बैठा रहा , पर राजकुमार से न रहा गया । वह आगे बढ़ गया । राजकुमारी ने उसकी तरफ देखा तो वह उसपर मोहित हो गया । राजकुमारी भी उसकी तरफ देखती रही । फिर उस राजकुमारी ने अपने जुड़े में से कमल का फूल निकाला , उसे अपने कान से लगाया , दांत से कुतरा , पैर के नीचे दबाया और फिर छाती से लगा , अपनी सहेलियों के साथ चली गई । उसके जाने के बाद रा

वेताल पच्चीसी - विक्रम वेताल की कहानियाँ / Vikram Betal stories in hindi

वेताल पच्चीसी - विक्रम वेताल की कहानियाँ / Vikram Betal stories in hindi एक दिन की बात है , राजा विक्रमादित्य के दरबार में शान्तिशील नाम का एक योगी आया और राजा को एक फल देकर चला गया । वह रोज दरबार आता और राजा को एक फल देता था । राजा वह फल खाते नहीं भण्डारी को दे देते । एक दिन राजा विक्रमादित्य अपना अस्तबल देखने गए तभी वह योगी आया और उसने राजा के हाथ में फल दे दिया । विक्रमादित्य ने वह फल उछाला तो वह हाथ से छूटकर धरती पर गिर गया । उसी समय एक बंदर ने झपटकर उसे उठा लिया और तोड़ डाला । उसमें से एक लाल निकला जिसे देखकर सबकी आँखे चौंधिया गई । राजा को बड़ा अचरज हुआ ।  राजा विक्रमादित्य ने योगी से पूछा आप यह लाल मुझे क्यों दे रहे हैं ?  योगी ने जवाब दिया - महाराज! राजा , गुरु , ज्योतिष , वैद्य और बेटी इनके घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए । राजा विक्रमादित्य ने भण्डारी को बुलाकर पीछे के सभी फलों को मंगवाया तुड़वाने पर सभी में से एक एक लाल निकला । इतनें लाल देखकर राजा खुश हो गए ।  उन्होंने जौहरी को बुलाकर उनका मूल्य पूछा ।  जौहरी ने बताया - महाराज! यह लाल इतने कीमती है कि इनका मूल्य करोडों रुपये