बीरबल पहेली सुनकर चकरा गए । उन्होंने कभी ऐसी पहेली नहीं सुनी थी । बोले - हुजूर अगर आप मुझे कुछ दिनों की मोहलत दे तो मैं इस पहेली का अच्छे से अर्थ समझा दूंगा । शहंशाह अकबर ने कहा ठीक है ।
बीरबल अर्थ समझने के लिए तुरंत वहां से चल पड़े और एक गांव पहुंचे । गर्मी का दिन था, धूप और थकान के मारे उनकी हालत खराब हो गई । मजबूरी में वे पास दिख रहे एक घर में गए । घर के अंदर एक लडकी खाना पका रही थी ।
बीरबल ने पूछा - बेटी तुम क्या कर रही हो ? उस लड़की ने कहा - देख नहीं रहे मैं बेटी को पकाती और माँ को जलाती हूँ ।
'अच्छा दो का हाल तो तुने बता दिया , और तेरा पिता कहा है और क्या कर रहा हैं?' बीरबल ने पूछा । 'वह मिट्टी में मिट्टी मिला रहे हैं ।' लडकी बोली ।
बीरबल ने फिर पूछा - तेरी माँ क्या कर रही है ?
लडकी बोली - एक को दो कर रही है ।
बीरबल ने लडकी से ऐसे जवाब की आशा न थी । परंतु वह लडकी थी बुद्धिमान । इसी बीच उसके माता-पिता आ पहुंचे । बीरबल ने उन्हें पूरी बात बताई । लड़की का पिता बोला - मेरी लड़की ने आपको सही उत्तर दिया है । अरहर की दाल अरहर की लकड़ी मे पक रही है । मै अपनी बिरादरी में एक मुर्दा जलाने गया था और मेरी पत्नी पड़ोस में मसूर की दाल दल रही थी ।
बीरबल लड़की की पहेली भरी बातों से बहुत खुश हुए । उन्हें लगा कि शहंशाह अकबर की पहेली का जवाब यही मिल जाएगा । उन्होंने लड़की के पिता से अकबर की पहेली सुनाई ।
उसने कहा कि यह तो बड़ी आसान सी पहेली है । इसका अर्थ है - धरती और आकाश दो ढक्कन है । इनके अंदर निवास करने वाला मनुष्य खरबूजा है । वह उसी तरह मृत्यु आने पर मर जाता है , जैसे गर्मी से मोम पिघल जाता है । '
बीरबल उसकी बुद्धिमानी देखकर खुश हुए और उसे बहुत सारा इनाम देकर आगरा रवाना हुए । शहंशाह अकबर को उनकी पहेली का जवाब दिया । वे बहुत खुश हुए और बीरबल को पुरस्कृत किया ।
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