सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अकबर बीरबल के 5 मजेदार किस्से / Akbar Birbal stories


 
Akbar Birbal stories
Stories of Akbar Birbal in hindi

#1 मासूम सजा / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi

एक दिन शहंशाह अकबर ने दरबार में आते ही दरबारियों से पूछा - किसी ने आज मेरी मूछें नोचने की ज़ुर्रत की , उसे क्या सजा दी जानी चाहिए ?

दरबारियों में से किसी एक ने कहा उसे सूली पर चढ़ा देना चाहिए , किसी ने कहा उसे फांसी की सजा सुनाई जाए , किसी ने कहा उसका गर्दन धड़ से अलग कर देना चाहिए । 

शहंशाह अकबर उन सबकी बातें सुन गुस्से में लाल हो गए और तब उन्होंने बीरबल से पूछा - बीरबल तुम्हारी क्या राय है ?

बीरबल ने कहा - गुस्ताखी माफ़ हुजूर ! लेकिन इस गुनाहगार को सजा के बजाय उपहार देना चाहिए ।

शहंशाह हल्के से मुस्कुराएं और बोले "क्या मतलब?"

"हुजूर ! जो व्यक्ति आपकी मूछें नोचने की ज़ुर्रत कर सकता है वह आपके शहजादे के सिवा और कोई नहीं हो सकता है । उस मासूम गुनाहगार को मिठाई खाने की मासूम सजा दी जानी चाहिए । " बीरबल ने कहा ।

शहंशाह अकबर ने जोर का ठहाका लगाया और दरबारी बगले झांकने लगे।  



#2 सब बह जाएंगे / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi  


एक बार शहंशाह अकबर और बीरबल शिकार खेलने गए थे । उनके साथ कुछ सैनिक और सेवक भी थे । शिकार से लौटते समय एक गांव से गुजरते हुए शहंशाह अकबर को उस गांव के बारे में जानने की इच्छा जागी । उन्होंने बीरबल से पूछा तो बीरबल ने कहा - हुजूर ! मैं तो इस गांव के बारे में कुछ नहीं जानता , लेकिन इस गांव के किसी बाशिन्दे से पूछकर बताता हूँ।  


बीरबल ने एक आदमी को बुलाकर पूछा - क्यों भाई , इस गांव में तो सब ठीक-ठाक है न ?

उस आदमी ने शहंशाह अकबर को पहचान लिया और कहा - " हुजूर , आपके राज में कोई कमी कैसे हो सकती हैं "

'तुम्हारा नाम क्या है ?' शहंशाह ने पूछा 

'गंगा'

'तुम्हारे पिता का नाम ?'

'जमुना'

'और माँ का नाम सरस्वती?' शहंशाह ने पूछा 

'नही नर्मदा '


यह सुनकर बीरबल ने तुरन्त चुटकी ली और बोले - हुजूर , तुरंत पीछे हट जाइए । यदि आपके पास नाव हो तो ही आगे बढें वरना नदियों के इस गाँव में डूब जाने का खतरा है । 

यह सुनकर शहंशाह अकबर ठहाके मारकर हंसने लगें ।


#3 पान वाले को चूना / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi



एक बार शहंशाह अकबर को पान खाने की तलब हुई । उन्होंने अपने एक खास पान वाले को पान बनाने के लिए कहा । उसने पान बनाकर शहंशाह को दिया । शहंशाह ने चुपचाप पान खाया और उस पान वाले को अगले दिन आधा किलो चूना दरबार में लेकर आने के लिए कहा। वह समझ नहीं सका कि आखिर शहंशाह ने ऐसा क्यों कहा परंतु फिर भी वह चुपचाप चूना लाने चला गया ।

उसने दूकानदार से आधा किलो चूना मांगा । दुकानदार ने पूछा इतना चूना क्यों ले रहे हो ? पान वाले ने दुकानदार को शहंशाह को पान खिलाने की बात बताई । दुकानदार को समझते देर न लगी कि कुछ गड़बड़ है । उसने पान वाले को समझाया कि शहंशाह के सामने चूना लेकर जाने से पहले खूब सारा घी पीकर जाए।  पान वाले ने दुकानदार की सलाह मानी और घी पीकर दरबार में पेश हुआ। 


दरबार में शहंशाह अकबर ने पान वाले को चूना खाने को कहा । पान वाला हैरान रह गया।  उसे विश्वास नहीं हुआ कि शहंशाह ने उसे इतना चूना खाने के लिए मंगवाया था। लेकिन वह तो तैयार था ही उसने सारा चूना खा लिया । जब उसे कुछ नहीं हुआ तो अकबर ने कारण जानना चाहा । पान वाले ने दुकानदार और अपनी बात बता दी । अब शहंशाह उस दुकानदार से मिलने के लिए उतावले हो उठे जिसने उनके मन कि बात जान ली । 

शहंशाह ने हुक्म दिया कि उस दुकानदार को अगले दिन दरबार में पेश किया जाए । अगले दिन वैसा ही हुआ । शहंशाह अकबर ने दुकानदार से पूछा कि वह कैसे उनके मन कि बात जान गया । तब दुकानदार ने कहा कि - हुजूर , यह पान वाला जब मेरे पास आधा किलो चूना खरीदने आया तब मैंने इससे पूछा कि इतने चूने का क्या करोगे ?


इसने मुझे बताया कि इसने आपको पान बनाकर खिलाया और आपने चूना लाने का आदेश दिया । तब मुझे समझते देर न लगी कि इसने जरूर आपके पान में ज्यादा चूना मिलाया होगा , जिससे आपके मुंह में छाले पड़ गये और इसी बात का एहसास करवाने के लिए आपने इसे चूना लाने के लिए कहा । मैने इसे सलाह दी कि दरबार में जाने से पहले खूब सारा घी पी लेना, जिससे तुम्हें चूना खाना भी पड़े तो असर कम हो जाएगा ।



वह दुकानदार और कोई नहीं बल्कि बीरबल थे । 



#4 टेढा सवाल / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi


एक बार शहंशाह अकबर और बीरबल वन-विहार के लिए गए । एक टेढ़े पेड़ की ओर इशारा करके शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा - यह दरख्त टेढ़ा क्यों है?

बीरबल ने जवाब दिया - यह दरख्त तमाम दरख्तों का साला है इसलिए टेढ़ा है।  


शहंशाह अकबर ने फिर पूछा - तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?


बीरबल - क्योंकि दुनिया में यह बात मसहूर है कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढ़े होते है ।


'मेरा साला भी टेढ़ा है ?' शहंशाह ने पूछा ।


'जी हुजूर ! ' बीरबल बोले ।


शहंशाह ने कहा कि फिर मेरे साले को फांसी पर लटका दो ।


एक दिन बीरबल ने फांसी लगाने के लिए तीन तक्ते बनवाया । एक सोने का एक चांदी का और एक लोहे का । शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा यह तीन तक्ते किसलिए बीरबल ?
बीरबल ने कहा - एक सोने का आपके लिए , चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता सरकारी साले के लिए।  

शहंशाह अकबर ने अचरज से पूछा - मुझे और तुम्हें फांसी क्यों ?

बीरबल ने कहा - क्यों नहीं जहाँपनाह , आखिर हम भी तो किसी के साले है ।  शहंशाह हंसने लगे और सरकारी साले के जान में जान आई । वह बाइज़्ज़त बरी हुए ।



#5 आदमी एक रूप तीन / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi 

          
Akbar Birbal image
5 Akbar Birbal stories in hindi


एक बार शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा - क्या तुम हमें एक आदमी में तीन तरह की खूबियाँ दिखा सकते हो ?


बीरबल ने कहा - जी हुजूर, पहले तोते की , दूसरी शेर की और तीसरी गधे की । परंतु आज नहीं कल । 


'ठीक है , तुम्हें कल का समय देता हूँ ' शहंशाह अकबर ने कहा ।

अगले दिन दरबार में बीरबल एक आदमी को पालकी में डालकर लाया और उसे पालकी से बाहर निकाला । फिर उस आदमी को एक गिलास में शराब दिया । शराब पीकर वह आदमी शहंशाह से डरकर विनती करने लगा - हुजूर मुझे माफ कर दे मैं एक गरीब आदमी हूँ । बीरबल ने शहंशाह को बताया कि यह तोते की बोली हैं ।


कुछ देर बाद उस आदमी को एक गिलास और शराब दिया तो वह नशे में बोला - अरे जाओ , तुम दिल्ली के शहंशाह हो तो मैं भी अपने घर का शहंशाह हूँ । हमें ज्यादा नखरे न दिखाओं ।

बीरबल ने बताया "यह शेर की बोली हैं " । कुछ देर बाद उस आदमी को और एक गिलास शराब दिया तो वह एक तरफ गिर गया और नशे में उटपटांग बड़बड़ाने लगा । बीरबल ने उसे एक लात मारते हुए कहा - हुजूर यह गधे की बोली हैं । 


शहंशाह अकबर एक बार फिर बीरबल से बहुत खुश हुए और उन्हें बहुत सारा इनाम दिया ।





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भूतिया कुएं की कहानी - Horror well story in hindi

  भूतिया कुएं की कहानी । Horror well story in hindi          Horror well story in hindi क्रिस्टी Krishti नाम की एक प्यारी बच्ची अपनी मम्मी रेचल के साथ रहती थी । क्रिस्टी के पापा नहीं थे इसलिए उसकी मम्मी रेचल ही नौकरी करके क्रिस्टी का पालन-पोषण करती थी । रेचल काम से वापस लौटकर क्रिस्टी को स्कूल से लाती और दोनों घर में साथ में खाना खाते, खेलते , टीवी देखते और बहुत सारी बातें करते थे । दोनों माँ बेटी अपनी जींदगी में बहुत खुश थे । एक बार रेचल क्रिस्टी को स्कूल से लाने गई तो उसकी टीचर ने क्रिस्टी की एक बनाई तस्वीर दिखाई जिसमे वह रेचल और एक बच्ची थी । जो उसका हाथ पकड़ खींच रही थी।   रेचल क्रिस्टी को लेकर घर आ गई। दोनों रात को जब साथ खाना खाने बैठे तो रेचल ने क्रिस्टी से पूछा कि तुमने बताया नहीं कि तुम्हें एक नई दोस्त मिल गई है । क्रिस्टी बोली आपने पूछा ही नहीं तब रेचल ने पूछा कि तुम्हारी नई दोस्त कहां रहती हैं तो क्रिस्टी ने बताया कि वह एक अंधेरे कुएं में रहती हैं । रेचल को क्रिस्टी की बात कुछ अजीब लगी तब उसने कहा कि मैं जब तक किचन का काम खत्म करतीं हूँ तब तक तुम अपनी दोस्त के घर की तस्वीर ब

ईश्वर जो करता है अच्छा करता हैं / अकबर बीरबल की कहानियाँ

            Akbar Birbal stories in hindi बीरबल एक ईमानदार और भगवान को मानने वाले व्यक्ति थे । वे प्रतिदिन ईश्वर की आराधना किया करते थे और उनका ईश्वर में पूर्ण विश्वास था । वे हमेशा कहा करते थे कि ईश्वर जो भी करता है वह हमारे भले के लिए ही करता है । शहंशाह अकबर के दरबार में बहुत से ऐसे दरबारी थे जिन्हें बीरबल की ऐसी बातें और बीरबल बिलकुल भी पसंद नहीं थे । वे नहीं चाहते थे कि बीरबल शहंशाह अकबर के खास रहे इसलिए अकबर के दरबार में बीरबल के खिलाफ हमेशा षंडयत्र होते रहते थे । खुद शहंशाह अकबर को भी इस बात का पता था ।  एक बार कि बात है , एक दरबारी जो बीरबल को बिलकुल भी पसंद नहीं करता था ने दरबार में कहा कि ईश्वर ने मेरे साथ कल बहुत बुरा किया । मैं अपने घोड़े के लिए चारा काट रहा था तभी मेरी छोटी ऊँगली कट गई । अब आप ही बताइए बीरबल क्या यह मेरे साथ ईश्वर ने अच्छा किया ? कुछ देर चुप रहने के बाद बीरबल बोले - मेरा अब भी यही मानना है कि ईश्वर जो भी करता है वह अच्छे के लिए करता है  । बीरबल की बात सुनकर वह दरबारी और भी ज्यादा चिढ़ गया और कहा कि एक तो मेरी ऊँगली कट गई और बीरबल को इसमें भी अच्छाई नजर आ र

जोरू का गुलाम / Akbar Birbal ki kahaniya

            Akbar Birbal ki kahaniya                   शहंशाह अकबर और बीरबल बातें कर रहे थे । बात मियां-बीवी की चली तो बीरबल ने कहा - अधिकतर मर्द जोरू के गुलाम होते हैं और अक्सर अपनी बीवियों से डरते भी है । शहंशाह अकबर बोले - मैं ऐसा नहीं मानता । 'हुजूर !मैं सिद्ध कर सकता हूँ ' बीरबल ने कहा । 'सिद्ध करों ।' शहंशाह बोले । 'ठीक है , आप बस आज ही यह आदेश जारी करें कि किसी को भी अपनी बीवी से डरने की जरूरत नहीं है, उसे बस बीरबल के पास एक मुर्गा जमा करवाना पड़ेगा ' बीरबल शहंशाह से बोले । बीरबल के कहे अनुसार शहंशाह ने आदेश जारी कर दिया । कुछ ही दिनों में बीरबल के पास ढेरों मुर्गे जमा हो गए।  तब उन्होंने शहंशाह से कहा - हुजूर ! अब तो इतनें मुर्गे जमा हो गए हैं कि आप मुर्गीखाना खोल सकते हैं । आप अपना आदेश वापस ले ले । शहंशाह को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने आदेश लेने से मना कर दिया । खीझकर बीरबल वापस लौटें । अगले दिन बीरबल दरबार में आया और शहंशाह अकबर से कहा - हुजूर! पड़ोसी राजा की पुत्री बहुत सुन्दर है । आपकी आज्ञा हो तो आपके विवाह की बात करूँ ?  'यह क्या कह रहे हो ,