#1 मासूम सजा / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi
दरबारियों में से किसी एक ने कहा उसे सूली पर चढ़ा देना चाहिए , किसी ने कहा उसे फांसी की सजा सुनाई जाए , किसी ने कहा उसका गर्दन धड़ से अलग कर देना चाहिए ।
शहंशाह अकबर उन सबकी बातें सुन गुस्से में लाल हो गए और तब उन्होंने बीरबल से पूछा - बीरबल तुम्हारी क्या राय है ?
बीरबल ने कहा - गुस्ताखी माफ़ हुजूर ! लेकिन इस गुनाहगार को सजा के बजाय उपहार देना चाहिए ।
शहंशाह हल्के से मुस्कुराएं और बोले "क्या मतलब?"
"हुजूर ! जो व्यक्ति आपकी मूछें नोचने की ज़ुर्रत कर सकता है वह आपके शहजादे के सिवा और कोई नहीं हो सकता है । उस मासूम गुनाहगार को मिठाई खाने की मासूम सजा दी जानी चाहिए । " बीरबल ने कहा ।
शहंशाह अकबर ने जोर का ठहाका लगाया और दरबारी बगले झांकने लगे।
#2 सब बह जाएंगे / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi
एक बार शहंशाह अकबर और बीरबल शिकार खेलने गए थे । उनके साथ कुछ सैनिक और सेवक भी थे । शिकार से लौटते समय एक गांव से गुजरते हुए शहंशाह अकबर को उस गांव के बारे में जानने की इच्छा जागी । उन्होंने बीरबल से पूछा तो बीरबल ने कहा - हुजूर ! मैं तो इस गांव के बारे में कुछ नहीं जानता , लेकिन इस गांव के किसी बाशिन्दे से पूछकर बताता हूँ।
बीरबल ने एक आदमी को बुलाकर पूछा - क्यों भाई , इस गांव में तो सब ठीक-ठाक है न ?
उस आदमी ने शहंशाह अकबर को पहचान लिया और कहा - " हुजूर , आपके राज में कोई कमी कैसे हो सकती हैं "
'तुम्हारा नाम क्या है ?' शहंशाह ने पूछा
'गंगा'
'तुम्हारे पिता का नाम ?'
'जमुना'
'और माँ का नाम सरस्वती?' शहंशाह ने पूछा
'नही नर्मदा '
यह सुनकर बीरबल ने तुरन्त चुटकी ली और बोले - हुजूर , तुरंत पीछे हट जाइए । यदि आपके पास नाव हो तो ही आगे बढें वरना नदियों के इस गाँव में डूब जाने का खतरा है ।
यह सुनकर शहंशाह अकबर ठहाके मारकर हंसने लगें ।
#3 पान वाले को चूना / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi
एक बार शहंशाह अकबर को पान खाने की तलब हुई । उन्होंने अपने एक खास पान वाले को पान बनाने के लिए कहा । उसने पान बनाकर शहंशाह को दिया । शहंशाह ने चुपचाप पान खाया और उस पान वाले को अगले दिन आधा किलो चूना दरबार में लेकर आने के लिए कहा। वह समझ नहीं सका कि आखिर शहंशाह ने ऐसा क्यों कहा परंतु फिर भी वह चुपचाप चूना लाने चला गया ।
उसने दूकानदार से आधा किलो चूना मांगा । दुकानदार ने पूछा इतना चूना क्यों ले रहे हो ? पान वाले ने दुकानदार को शहंशाह को पान खिलाने की बात बताई । दुकानदार को समझते देर न लगी कि कुछ गड़बड़ है । उसने पान वाले को समझाया कि शहंशाह के सामने चूना लेकर जाने से पहले खूब सारा घी पीकर जाए। पान वाले ने दुकानदार की सलाह मानी और घी पीकर दरबार में पेश हुआ।
दरबार में शहंशाह अकबर ने पान वाले को चूना खाने को कहा । पान वाला हैरान रह गया। उसे विश्वास नहीं हुआ कि शहंशाह ने उसे इतना चूना खाने के लिए मंगवाया था। लेकिन वह तो तैयार था ही उसने सारा चूना खा लिया । जब उसे कुछ नहीं हुआ तो अकबर ने कारण जानना चाहा । पान वाले ने दुकानदार और अपनी बात बता दी । अब शहंशाह उस दुकानदार से मिलने के लिए उतावले हो उठे जिसने उनके मन कि बात जान ली ।
शहंशाह ने हुक्म दिया कि उस दुकानदार को अगले दिन दरबार में पेश किया जाए । अगले दिन वैसा ही हुआ । शहंशाह अकबर ने दुकानदार से पूछा कि वह कैसे उनके मन कि बात जान गया । तब दुकानदार ने कहा कि - हुजूर , यह पान वाला जब मेरे पास आधा किलो चूना खरीदने आया तब मैंने इससे पूछा कि इतने चूने का क्या करोगे ?
इसने मुझे बताया कि इसने आपको पान बनाकर खिलाया और आपने चूना लाने का आदेश दिया । तब मुझे समझते देर न लगी कि इसने जरूर आपके पान में ज्यादा चूना मिलाया होगा , जिससे आपके मुंह में छाले पड़ गये और इसी बात का एहसास करवाने के लिए आपने इसे चूना लाने के लिए कहा । मैने इसे सलाह दी कि दरबार में जाने से पहले खूब सारा घी पी लेना, जिससे तुम्हें चूना खाना भी पड़े तो असर कम हो जाएगा ।
वह दुकानदार और कोई नहीं बल्कि बीरबल थे ।
#4 टेढा सवाल / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi
एक बार शहंशाह अकबर और बीरबल वन-विहार के लिए गए । एक टेढ़े पेड़ की ओर इशारा करके शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा - यह दरख्त टेढ़ा क्यों है?
बीरबल ने जवाब दिया - यह दरख्त तमाम दरख्तों का साला है इसलिए टेढ़ा है।
शहंशाह अकबर ने फिर पूछा - तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?
बीरबल - क्योंकि दुनिया में यह बात मसहूर है कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढ़े होते है ।
'मेरा साला भी टेढ़ा है ?' शहंशाह ने पूछा ।
'जी हुजूर ! ' बीरबल बोले ।
शहंशाह ने कहा कि फिर मेरे साले को फांसी पर लटका दो ।
एक दिन बीरबल ने फांसी लगाने के लिए तीन तक्ते बनवाया । एक सोने का एक चांदी का और एक लोहे का । शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा यह तीन तक्ते किसलिए बीरबल ?
बीरबल ने कहा - एक सोने का आपके लिए , चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता सरकारी साले के लिए।
शहंशाह अकबर ने अचरज से पूछा - मुझे और तुम्हें फांसी क्यों ?
बीरबल ने कहा - क्यों नहीं जहाँपनाह , आखिर हम भी तो किसी के साले है । शहंशाह हंसने लगे और सरकारी साले के जान में जान आई । वह बाइज़्ज़त बरी हुए ।
#5 आदमी एक रूप तीन / अकबर बीरबल की कहानियाँ / Akbar Birbal stories in hindi
एक बार शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा - क्या तुम हमें एक आदमी में तीन तरह की खूबियाँ दिखा सकते हो ?
बीरबल ने कहा - जी हुजूर, पहले तोते की , दूसरी शेर की और तीसरी गधे की । परंतु आज नहीं कल ।
'ठीक है , तुम्हें कल का समय देता हूँ ' शहंशाह अकबर ने कहा ।
अगले दिन दरबार में बीरबल एक आदमी को पालकी में डालकर लाया और उसे पालकी से बाहर निकाला । फिर उस आदमी को एक गिलास में शराब दिया । शराब पीकर वह आदमी शहंशाह से डरकर विनती करने लगा - हुजूर मुझे माफ कर दे मैं एक गरीब आदमी हूँ । बीरबल ने शहंशाह को बताया कि यह तोते की बोली हैं ।
कुछ देर बाद उस आदमी को एक गिलास और शराब दिया तो वह नशे में बोला - अरे जाओ , तुम दिल्ली के शहंशाह हो तो मैं भी अपने घर का शहंशाह हूँ । हमें ज्यादा नखरे न दिखाओं ।
बीरबल ने बताया "यह शेर की बोली हैं " । कुछ देर बाद उस आदमी को और एक गिलास शराब दिया तो वह एक तरफ गिर गया और नशे में उटपटांग बड़बड़ाने लगा । बीरबल ने उसे एक लात मारते हुए कहा - हुजूर यह गधे की बोली हैं ।
शहंशाह अकबर एक बार फिर बीरबल से बहुत खुश हुए और उन्हें बहुत सारा इनाम दिया ।
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